तो क्या आपने भी लव जिहाद शब्द पहली बार सुना है और आप भी यह जानना चाहते हैं की, love jihad kya hota hai? अभी के समय में आप लोग इसके बारे काफी सुन रहे होंगे और आपके मन में यह जानने की इच्छा हो रही होगी की, ऐसा कौन सा बिषय है जिसपर इतनी ज्यादा चर्चा चारों ओर हो रही है । आजकल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी इस बिषय पर काफी व्यान दे रहे हैं ।
लव जिहाद क्या होता है और इस्लाम के पांच स्तंभ कौन-कौन से है ?
love Jihad दो शब्दों से मिलकर बना है । “लव+जिहाद” जैसा की आपको पता ही होगा, LOVE अंग्रेजी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ प्यार, मोहब्बत, इश्क आदि होता है और जिहाद एक अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है, “अपने किसी भी मकसद या लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देना ।”
Love Jihad – इसका मतलब यह है की, जब किसी विशेष धर्म को मानने वाले लोग, किसी दूसरे धर्म की लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फसाकर, उनसे उनका धर्म-परिवर्तन करा देते हैं, तो इस पूरे मामले को ही लव जिहाद का नाम दिया जाता है । इसमें लड़का लड़की से शादी केवल इसलिए करता है ताकि वह उसका धर्म बदलवा सके या उसका गलत इस्तेमाल कर सके ।
आपको यह बात भी पता होनी चाहिए की पहले लव जिहाद शब्द को, कानून नही मानता था लेकिन, 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को मान लिया है की, लव जिहाद होता है, और मुस्लिम धर्म के कुछ युवक हिन्दू लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फसाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर लव जिहाद जैसा गलत काम करते हैं ।
अब आप ये भी जानना चाहते होंगे की सबसे पहले लव जिहाद का जो मामला कानून की निगाह में आया वो कौन-सा है ? कानून को कैसे विश्वास आया की लव जिहाद वास्तव में होता है । इसके बारे में तो बात करेंगे ही साथ ही कुछ लव जिहाद के मुख्य मामलों को भी आपको बताएंगे ।
इसकी शुरुआत तब हुई जब केरल हाई कोर्ट ने 25 मई को एक हिन्दू महिला अखिला अशोकन की शादी रद्द कर दी थी । अखिला अशोकन ने दिसम्बर 2016 में मुस्लिम युवक सफीम से निकाह किया था । निकाह करने से पहले ही अखिला अशोकन ने अपना धर्म-परिवर्तन करने के बाद अपना नाम “हादिया” रख लिया था ।
जिसके बाद अखिला के माता-पिता ने इस पूरे मामले के खिलाफ केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, उनका कहना था की, उनकी बेटी अखिला को आतंकवादी-संगठन ISIS में फिदायीन बनाने के लिए लव जिहाद जैसे तरीके को अपनाया गया है। इसके बाद केरल हाईकोर्ट ने अखिला (हादिया) और शफीन के निकाह (शादी) को रद्द कर दिया ।
इसके बाद अखिला के पति शफीन ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी । इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की NIA जांच के आदेश दिए थे …
जिहाद और इस्लाम की सही जानकारी ― अब हम आपको इस्लाम और जिहाद का वह सही अर्थ समझाएंगे जिससे सभी को काफी दूर रखा गया है । ये बात सही है की दुनिया का कोई भी धर्म हिंसा को बढ़ाबा बिल्कुल भी नहीं देता है । इसी तरह इस्लाम भी हिंसा के खिलाफ है । इसलिए किसी भी मजहब के बारे में किसी भी नतीजे पर पहुचने से पहले हमें उसे बारे में पूर्ण जानकारी होनी जरूरी है, हमे उसके सिद्धान्तों के बारे में पता होना चाहिए ।
इस्लाम ने हर मुसलमान व्यकि के लिए कुछ कर्तव्य बनाये हैं, इन्हें ही इस्लाम के 5 स्तंभ कहते हैं । इस्लाम का पहला स्तम्भ है –
- शहादा ― इसका शाब्दिक अर्थ है घोषणा करना या गवाही देना । हर मुसलमान का कर्तव्य है की वह इस बात की घोषणा करे की, अल्लाह के सिवा कोई और परमेश्वर नहीं है । यानी वह केवल अल्लाह में ही अपना भरोसा रखेगा ।
- सलात – फ़ारसी में इसे नमाज भी कहते हैं । इस्लाम कहता है की हर एक मुसलमान को दिन में 5 बार नमाज पढ़ना जरूरी है ।
- जकात – आप इसे साल में एक बार किया जाने वाला दान भी कह सकते हैं । हर मुसलमान के लिए जरूरी है की, वो अपनी आमदनी का एक हिस्सा जरूरतमंदो को दान जरूर दें ।
- सौम – इसे रोजा रखना भी कहते हैं । इस्लाम में मुसलमान के लिए कहा गया है की रमजान के महीने में हर मुसलमान को रोजा यानी (व्रत) जरूर रखना चाहिए ।
- हज – हज को इस्लाम का पांचवा स्तंभ माना जाता है । हर मुसलमान का कर्त्तव्य है की अगर वह मक्का जाने का खर्च उठा सकता है तो जीवन में कम से कम एक बार उसे हज जरूर जाना चाहिए ।
जिहाद ―
ये तो हुई इस्लाम के पांच स्तंभों की बात ! लेकिन, जिहाद को इस्लाम का छटा स्तंभ माना जाता है । जिहाद का शाब्दिक अर्थ पवित्र युद्ध होता है लेकिन जिहाद की परिभाषा को हमेशा गलत तरीके से ही पेश किया गया है । इस पवित्र युद्ध को धर्म युद्ध बताकर दुनिया में उसका गलत इस्तेमाल किया जाता है ।
आतंकवादी हिंसा और आतंक फैलाते हैं और खुद को जिहादी कहते हैं । कट्टरता को जिहाद बताकर कट्टरपंथी अपने काम को सही बताते है । आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं की कौन से काम जिहाद की श्रेणी में नहीं आते हैं –
- अगर किसी को इस्लाम कबूल करने की जबरदस्ती की जाती है तो इसे जिहाद नहीं कहा जा सकता है ।
- अगर किसी देश या क्षेत्र पर अधिकार जमाने के लिए उसपर हमला किया जाता है तो उसे भी जिहाद नही कहा जा सकता है ।
- अगर आर्थिक फायदे के लिए किसी भी इलाके पर हमला किया जाए तो यह जिहाद बिल्कुल भी नहीं है । किसी भी तरह की हिंसा को जिहाद नहीं कहा जा सकता है ।
- अगर निर्दोष की हत्या की जाती है या फिर स्त्रियों के बलात्कार को भी जिहाद नही कह सकते हैं ।
- अगर किसी पर हमला करके उसकी संपत्ति का नुकसान किया जाता है तो इसे भी नहीं जिहाद नहीं कहते हैं ।
- अगर किसी को हराने के लिए जैविक युद्ध का सहारा लिया जाता है तो उसे भी जिहाद नही कह सकते हैं।
इस्लाम में तो साधारण युद्ध के लिए भी कई नियम हैं और इन नियमों का पालन न करना गुनाह माना गया है । ये नियम इस प्रकार हैं –
१. आप युद्ध की पहल खुद नहीं कर सकते हैं ।
२. यह युद्ध किसी भी बादशाह, सुल्तान आदि के कहने पर नहीं बल्कि धार्मिक नेता के कहने पर ही शुरू किया जा सकता है ।
३. इसमें यह नियम भी है की युद्ध में दुश्मन को भी पूरा सम्मान देना चाहिए ।
४. दुश्मन सेना के सैनिकों का इलाज उन्हें अपना सैनिक मानकर करना चाहिए ।
५. युद्ध जितनी जल्दी हो सके उसे समाप्त करना चाहिए । ६. अगर दुश्मन शांति की पहल करे तो तुरंत युद्ध विराम की घोषणा कर देनी चाहिए ।
७. युद्ध के दौरान कुओं आदि में जहर डालना प्रतिबन्ध है ।
जेहाद की परिभाषा को हमेशा से गलत तरीके से पेश किया जाता रहा है, इसी का ही नतीजा है की हमारे देश में जिहाद की बात करना मतलब आपके जेल जाने की गारंटी बन सकता है लेकिन, हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करने वालों को बुद्धिजीवी समझा जाता है ।
अन्तिम शब्द ―
इस पोस्ट में हमने जाना की love jihad kya hai ? आपको सबसे पहले लव जिहाद शब्द कहाँ सुना हमे कमेंट में जरूर बतायें । अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया तो अपने दोस्तों के साथ इसे जरूर शेयर करें, ताकि वे भी इसके बारे में जान सके । आप इस आर्टिकल के कमेंट बॉक्स में ये भी बताएं की, लव जिहाद के नाम पर आतंक को बढ़ावा देने वालों के लिए आप क्या विचार रखते हैं ?
आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया..!
धन्यवाद..!😊
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Aapne bilkul sahi kaha kisi bhi insan ko nuksan pahuchane ko jehad nhi bolte.