मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय (बोर्ड परीक्षा – 2023)

हिन्दी बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्र में ज्यादातर ये प्रश्न पूछा जाता है की, किसी एक लेखक का जीवन परिचय लिखिये इसलिये आज हम आपके लिए मैथिली शरण गुप्त का जीवन परिचय लाये हैं। अगर आप इस जीवन परिचय को याद करके, सही तरीके से लिखते हैं तो, आपको जीवन परिचय पर पूरे नम्बर मिल सकते हैं ।

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मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय

सभी विद्यार्थी जिनके पास अच्छी पाठ्य सामग्री नहीं है, वे online शरण जी का जीवन परिचय पढ़ना चाहते हैं, तो वे इस आर्टिकल को पढ़ सकते हैं ।

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संक्षिप्त परिचय में आपको मुख्य-मुख्य जानकारी मिलेंगी और विस्तृत जीवन परिचय में आपको, लगभग सभी महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी । इसमें विस्तृत जीवन परिचय को, आप अपनी परीक्षा में लिखकर आ सकते हैं ।

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संक्षिप्त जीवन परिचय –

संक्षिप्त जीवन परिचय मुख्य बातों को कम समय में दोहराने के लिये अच्छा है । तो चलिये गुप्त जी के जीवन के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालते हैं –

नाममैथिलीशरण गुप्त
जन्म3 अगस्त, सन् 1886 ई. ।
जन्म स्थानचिरगाँव (झाँसी) ।
पितासेठ रामचरण गुप्त
मुख्य रचनासाकेत ।
मृत्यु12 दिसम्बर, सन् 1964 ई. ।
प्रमुख काव्य रचनाएँजयद्रथ वध, भारत-भारती, अनघ, पंचवटी, यशोधरा आदि ।

मैथिली शरण गुप्त का विस्तृत जीवन परिचय –

श्री मैथिलीशरण गुप्त का जन्म चिरगाँव (झाँसी) में सन् 1886 ई० में हुआ था । इनके पिता सेठ रामचरण गुप्त को हिन्दी-साहित्य से विशेष प्रेम था | गुप्तजी की शिक्षा-दीक्षा घर पर ही सम्पन्न हुई । घर के साहित्यिक वातावरण के कारण इनमें काव्य के प्रति अभिरुचि जाग्रत हुई ।
12 दिसम्बर, सन् 1964 ई० (संवत् 2021) में गुप्तजी का देहावसान हो गया ।


गुप्त जी का साहित्यिक परिचय –

मैथिलीशरण गुप्त में बाल्यावस्था से ही काव्यात्मक प्रवृत्ति विद्यमान थी। ये अल्पावस्था से ही छिट-पुट काव्य-रचनाएँ करते थे । आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के सम्पर्क में आने के पश्चात् उनकी प्रेरणा से काव्य-रचना करके इन्होंने हिन्दी-काव्य की धारा को समृद्ध किया ।

इनकी कविता में राष्ट्रभक्ति एवं राष्ट्रप्रेम का स्वर प्रमुख रूप से मुखरित हुआ है। इसी कारण हिन्दी-साहित्य के तत्कालीन विद्वानों ने इन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि से विभूषित किया ।

आचार्य द्विवेदी से सम्पर्क होने के पश्चात् मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ ‘सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित होने लगीं । इनकी प्रथम पुस्तक ‘रंग में भंग’ का प्रकाशन सन् 1909 ई० में हुआ;

किन्तु इन्हें ख्याति सन् 1912 ई० में प्रकाशित पुस्तक ‘भारत-भारती’ के पश्चात् ही मिलनी प्रारम्भ हुई । इसी पुस्तक ने इन्हें ‘राष्ट्रकवि’ के रूप में विख्यात किया ।

गुप्तजी प्रमुख रूप से प्रबन्ध-काव्य की रचना में सिद्धहस्त थे । खड़ीबोली के स्वरूप का निर्धारण करने एवं उसके विकास में गुप्तजी ने अपना अमूल्य योगदान दिया है ।

प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्रीय भाव की अपने काव्य में प्रस्तुति कर इन्होंने युगधर्म का निर्वाह किया और अतीत के आदर्श को वर्तमान की प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया । ये द्विवेदी युग के सबसे अधिक लोकप्रिय कवि माने जाते हैं ।


गुप्त जी की प्रमुख रचनाएँ –

कृतियाँ – गुप्तजी की रचनाएँ दो प्रकार की हैं –
(क) मौलिक
(ख) अनुदित

(क) मौलिक रचनाएँ — इनकी प्रमुख मौलिक रचनाएँ निम्नलिखित हैं –

(1) भारत-भारती – इसमें देश के प्रति गर्व और गौरव की भावनाओं पर आधारित कविताएँ हैं । इसी रचना के कारण वे राष्ट्रकवि के रूप में विख्यात हुए।

(2) साकेत – ‘श्रीरामचरितमानस’ के पश्चात् हिन्दी में राम-काव्य का दूसरा स्तम्भ मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘साकेत’ ही है।

(3) यशोधरा – इसमें उपेक्षित यशोधरा के चरित्र को काव्य का आधार बनाया गया है।

गुप्तजी की अन्य प्रमुख पुस्तकें – ‘जयद्रथ-वध’, ‘झंकार’, ‘सिद्धराज’, ‘कुणाल गीत’, ‘अनघ’, ‘पंचवटी’, ‘द्वापर’, ‘नहुष’, ‘पृथ्वीपुत्र’ तथा ‘प्रदक्षिणा’ आदि ।

(ख) अनूदित रचनाएँ — प्लासी का युद्ध’, ‘मेघनाद-वध’, ‘वृत्र-संहार’ आदि ।

क्या सीखा –

विद्यार्थियों, आज हिन्दी बिषय से सम्बन्धित इस पोस्ट से हमने सीखा की, आप मैथिली शरण गुप्त का जीवन परिचय परीक्षा में कैसे लिख सकते हैं । जिससे आपको जीवन परिचय पर अच्छे नम्बर मिलें ।

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