नई दिल्ली: भारतीय सेना के महानिदेशक सैन्य संचालन (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस में देशवासियों को आश्वस्त किया कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने अपने जोरदार और प्रेरणादायक शब्दों में कहा, “याचना नहीं, रण होगा”, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिला कि भारत अब केवल कूटनीतिक भाषा में जवाब नहीं देगा, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर हर मोर्चे पर कड़ा सैन्य प्रतिकार भी करेगा।
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यह प्रेस कॉन्फ्रेंस ऐसे समय पर हो रही है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है। बीते चार दिनों में सीमा पर स्थिति गंभीर बनी रही, जहां ड्रोन हमलों, रॉकेट हमलों और मिसाइल दागे जाने जैसी घटनाएं देखने को मिलीं। इसके जवाब में, भारत ने भी सख्त सैन्य कार्रवाई करते हुए अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत किया।
द्विपक्षीय वार्ता का नया चरण
भारत और पाकिस्तान के DGMOs — लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और मेजर जनरल काशिफ चौधरी — आज शाम 5 बजे एक बार फिर से आमने-सामने होंगे। यह बातचीत दोनों देशों के बीच हाल ही में बनी सहमति के बाद हो रही है, जिसमें तय किया गया था कि 10 मई की शाम से सभी प्रकार की सैन्य कार्रवाइयों — थल, वायु और जल — को रोक दिया जाएगा।
यह दूसरी बार है जब दोनों देशों के सैन्य संचालन प्रमुख आपस में सीधे संवाद करने जा रहे हैं। इससे पहले भी ऐसी वार्ताएं 2003, 2013, और 2021 में हुई थीं, लेकिन इस बार की परिस्थिति अधिक जटिल और संवेदनशील है।
DGMO वार्ता से क्या उम्मीद की जा सकती है?
आज होने वाली DGMO स्तर की वार्ता से दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की दिशा में कुछ ठोस कदमों की उम्मीद की जा रही है। विशेष रूप से चार प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी:
एजेंडा 1: युद्धविराम की प्रक्रिया पर चर्चा
पिछले कुछ दिनों में नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी की कई घटनाएं सामने आई हैं। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान लगातार युद्धविराम का उल्लंघन कर रहा है, जिससे सीमावर्ती गांवों के नागरिकों को जान-माल की हानि हो रही है। ऐसे में आज की वार्ता का प्राथमिक उद्देश्य यही रहेगा कि एक स्थायी और पारदर्शी युद्धविराम प्रक्रिया पर सहमति बनाई जाए, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
एजेंडा 2: सैनिकों की गतिविधियों पर बातचीत
दोनों देशों के सीमावर्ती इलाकों में सैनिकों की आवाजाही और तैनाती को लेकर भी कई बार तनाव उत्पन्न हुआ है। भारत इस बार यह साफ करना चाहेगा कि अगर पाकिस्तान किसी भी प्रकार की आक्रामक तैनाती करता है, तो उसे तुरंत रोका जाए। इसके अलावा, कोई भी सैन्य अभ्यास या मूवमेंट अंतरराष्ट्रीय नियमों के अंतर्गत होना चाहिए और पारदर्शी तरीके से जानकारी साझा की जानी चाहिए।
एजेंडा 3: शत्रुतापूर्ण हवाई गतिविधियों को रोकना
हाल ही में भारत के जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में संदिग्ध ड्रोन गतिविधियां देखी गई हैं। माना जा रहा है कि इन ड्रोन का स्रोत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में है। इनका उपयोग निगरानी, हथियार गिराने और आतंकी तत्वों की मदद के लिए किया जा रहा है। भारत इस विषय को आज के एजेंडे में प्रमुखता से उठाएगा और पाकिस्तान से इन गतिविधियों को तुरंत बंद करने की मांग करेगा।
एजेंडा 4: ‘आतंक को बढ़ावा देना बंद करें’ का कड़ा संदेश
यह भारत की सबसे बड़ी चिंता रही है कि पाकिस्तान की ओर से सीमापार आतंकवाद को लगातार समर्थन मिलता रहा है। चाहे वह हथियारों की आपूर्ति हो, ट्रेनिंग हो या सीमा पार कराए जाने की कोशिशें—पाकिस्तान की नीतियों पर भारत बार-बार सवाल उठाता रहा है। इस बार DGMO वार्ता में भारत यह स्पष्ट करेगा कि अगर पाकिस्तान आतंकी समूहों को समर्थन देना बंद नहीं करता, तो भारत कोई भी कड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
महत्वपूर्ण चर्चा बिंदु
1. युद्धविराम उल्लंघन
बीते चार दिनों में करीब दो दर्जन से ज्यादा बार युद्धविराम उल्लंघन की घटनाएं सामने आई हैं। भारत ने इन घटनाओं का सख्त संज्ञान लेते हुए पाकिस्तान को चेताया है कि अगर ये सिलसिला जारी रहा, तो भारत को जवाबी कार्रवाई के लिए विवश होना पड़ेगा।
2. सीमा सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा
सीमा पर रहने वाले हजारों नागरिक युद्धविराम उल्लंघनों और गोलीबारी की घटनाओं से लगातार प्रभावित हो रहे हैं। कई गांवों में स्कूल बंद हैं, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है और प्रशासन अलर्ट मोड में है। DGMO वार्ता में इस बात पर भी ज़ोर दिया जाएगा कि आम नागरिकों को इस संघर्ष से बाहर रखा जाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

भारतीय सेना की तैयारी
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह भी बताया कि भारतीय सेना हर स्थिति के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “हमने अपनी रणनीतिक पोजिशनिंग को मजबूत किया है। अगर सीमा पार से कोई भी आक्रामकता होती है, तो हम उसका करारा जवाब देंगे। हमारे पास पूरी ताकत है और सैनिकों का मनोबल ऊंचा है।”
भारतीय वायुसेना और नौसेना भी हाई अलर्ट पर हैं। सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ा दी गई है, और सामरिक उपकरणों की तैनाती भी की गई है। सेना की इस तैयारी से यह संदेश साफ है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पहले से ही किसी भी खतरे को टालने के लिए सतर्क रहेगा।
कूटनीतिक दृष्टिकोण और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
भारत की इस सख्त मुद्रा के पीछे एक बड़ा रणनीतिक उद्देश्य यह भी है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह दिखाना चाहता है कि वह शांति का पक्षधर है, लेकिन उसकी सहनशीलता की भी एक सीमा है। भारत बार-बार वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करता रहा है और पाकिस्तान को ‘आतंक के प्रायोजक राष्ट्र’ के रूप में चिन्हित करने की अपील करता रहा है।
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, रूस और कई अन्य देशों ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। हालांकि, भारत के मुताबिक, केवल शांति की अपीलें पर्याप्त नहीं हैं—आतंकी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई भी ज़रूरी है।
निष्कर्ष
आज की DGMO वार्ता केवल एक बैठक नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के भविष्य के रिश्तों की दिशा तय करने वाला एक निर्णायक क्षण भी है। अगर पाकिस्तान गंभीरता से भारत की चिंताओं को समझे और आवश्यक कदम उठाए, तो सीमा पर शांति बहाल हो सकती है। लेकिन अगर वार्ता केवल औपचारिक रह जाती है और जमीनी हालात नहीं बदलते, तो भारत के लिए ‘रण’ ही एकमात्र विकल्प होगा।
भारत की स्पष्ट रणनीति है—“शांति हमारी प्राथमिकता है, लेकिन आत्मरक्षा हमारा अधिकार है।”