परिचय
World Happiness Report 2025, जो कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वेलबीइंग रिसर्च सेंटर और गैलप (Gallup) के सहयोग से प्रकाशित हुई है, ने एक बार फिर फिनलैंड (Finland) को दुनिया का सबसे खुशहाल देश घोषित किया है। इसके बाद डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीडन जैसे नॉर्डिक देश शीर्ष स्थानों पर काबिज हैं।
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हालांकि, रिपोर्ट में भारत की स्थिति चिंताजनक है। भारत इस साल 147 देशों में से 118वें स्थान पर रहा, जो कि 2022 और 2023 के 126वें स्थान से थोड़ा बेहतर है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि युद्धग्रस्त देशों जैसे इज़राइल (8वां), यूक्रेन (111वां), और फिलिस्तीन (108वां) ने भी भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
युद्धग्रस्त देशों में लोग भारत से अधिक खुश क्यों हैं?
यह आश्चर्यजनक लग सकता है कि ऐसे देश जो युद्ध, संघर्ष और राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहे हैं, वे भारत से अधिक खुश हैं। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:
✅ मजबूत उद्देश्य और सामुदायिक भावना: युद्धग्रस्त क्षेत्रों में लोग एक साथ मिलकर संकटों का सामना करते हैं, जिससे उनमें सामाजिक बंधन और सामूहिक एकता की भावना मजबूत होती है।
✅ एकजुटता और भावनात्मक समर्थन: जब लोग संकट में होते हैं, तो वे एक-दूसरे का साथ देते हैं और भावनात्मक रूप से जुड़े रहते हैं, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य को मजबूती मिलती है।
✅ दूसरों की मदद करने की भावना: संघर्ष की स्थिति में दूसरों की मदद करने, दान करने और स्वयंसेवा करने जैसी गतिविधियां बढ़ जाती हैं, जिससे समुदाय में सकारात्मकता और संतोष की भावना आती है।
भारत की स्थिति और प्रदर्शन की समीक्षा
हालांकि भारत 118वें स्थान पर है, लेकिन कुछ श्रेणियों में भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है:
- 🫶 दान देने में स्थान: भारत ने 57वां स्थान हासिल किया,(World Happiness Report 2025) जो यह दर्शाता है कि भारतीय लोग दान देने में अग्रणी हैं।
- 🤝 स्वयंसेवा में स्थान: भारत 10वें स्थान पर रहा, जो दर्शाता है कि भारतीय समाज सेवा के प्रति जागरूक हैं।
- 🙋♂️ अनजान लोगों की मदद में स्थान: भारत ने 74वां स्थान हासिल किया, जिससे पता चलता है कि जरूरतमंदों की मदद करने में भारतीय लोग आगे हैं।
हालांकि, समाज में विश्वास की कमी भारत की रैंकिंग को प्रभावित कर रही है:
- 🏡 पड़ोसियों पर विश्वास: भारत 115वें स्थान पर है, जिससे पता चलता है कि लोगों को अपने पड़ोसियों पर कम भरोसा है।
- 👥 अनजान लोगों पर विश्वास: 86वें स्थान पर रहा, जो समाज में विश्वास की कमी को दर्शाता है।
- 👮 पुलिस पर विश्वास: 93वें स्थान पर रहा, जो यह बताता है कि लोगों को न्याय व्यवस्था पर भरोसा कम है।

भारत में खुशी के गिरते स्तर के मुख्य कारण
📉 जीवन मूल्यांकन में गिरावट: भारत में कुल जीवन संतोष का स्तर बहुत कम है, जिससे उसकी रैंकिंग नीचे जा रही है।
🤝 सामाजिक विश्वास की कमी: भारत में सामाजिक भरोसे की कमी है, जिससे लोगों में असुरक्षा और नकारात्मक भावनाएं पनप रही हैं।
🍽️ अकेलेपन और अलगाव: शहरीकरण और व्यस्त जीवनशैली के कारण लोग अकेलेपन और सामाजिक अलगाव का शिकार हो रहे हैं, जिससे खुशी के स्तर में गिरावट हो रही है।
दुनिया में खुशी के रुझान
✅ फिनलैंड लगातार शीर्ष पर: फिनलैंड लगातार आठवें वर्ष सबसे खुशहाल देश बना हुआ है, जिसका श्रेय उसकी मजबूत कल्याणकारी व्यवस्था, समुदाय से गहरे संबंध और प्रकृति से जुड़े रहने की संस्कृति को जाता है।
✅ अमेरिका में गिरावट: संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी 24वीं रैंक तक गिर गया, जो देश के इतिहास में सबसे कम है। इसका मुख्य कारण अकेलापन और नशे की लत से होने वाली मौतें हैं।
✅ अफगानिस्तान सबसे नीचे: अफगानिस्तान इस बार भी 147वें स्थान पर रहा। यहां महिलाओं ने खासतौर पर जीवन स्तर में गिरावट की रिपोर्ट की है।
फिनलैंड क्यों है सबसे खुशहाल देश?
फिनलैंड की निरंतर शीर्ष रैंकिंग के पीछे ये प्रमुख कारण हैं:
🌳 प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरण से जुड़ाव: फिनलैंड के लोग प्रकृति के साथ गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं, जिससे मानसिक शांति और संतोष मिलता है।
🏥 मजबूत कल्याणकारी व्यवस्था: स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्तीय सुरक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करना फिनलैंड की प्रमुख विशेषता है।
🤝 उच्च सामाजिक विश्वास: फिनलैंड में भ्रष्टाचार का स्तर काफी कम है और समाज में आपसी विश्वास बहुत मजबूत है।
सामाजिक संबंध और खुशी का संबंध
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया कि सामाजिक संबंध और साझा भोजन का लोगों की खुशी में महत्वपूर्ण योगदान होता है:
🍽️ साथ मिलकर भोजन करना: जो लोग नियमित रूप से दूसरों के साथ भोजन करते हैं, वे अधिक खुश होते हैं।
❤️ दयालुता और परोपकार: कोविड-19 महामारी के दौरान परोपकार और दयालुता में वृद्धि हुई, जो अब भी महामारी से पहले के स्तर से 10% अधिक है।
भारत में सामाजिक संबंधों की कमी से बढ़ रहा अकेलापन
रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया कि भारत में सामाजिक अलगाव और अकेलेपन में वृद्धि हो रही है। इसके प्रमुख कारण हैं:
- परिवार से दूर रहना: शहरीकरण के कारण लोग अपने मूल परिवार से दूर रहकर काम कर रहे हैं।
- डिजिटल लाइफस्टाइल: सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने से व्यक्तिगत संबंधों में दूरी बढ़ रही है।
- सामाजिक आयोजनों में कमी: आधुनिक जीवनशैली के चलते सामूहिक आयोजनों और पारिवारिक मेल-जोल में गिरावट आई है।
भारत को खुशहाल देश बनाने के लिए क्या किया जा सकता है?
भारत की खुशी रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
✅ सामाजिक संबंधों को मजबूत करें: लोगों को अधिक सामाजिक मेल-जोल के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
✅ सामुदायिक गतिविधियों को बढ़ावा दें: स्वयंसेवा, दान और सामूहिक कार्यक्रमों में भागीदारी बढ़ाई जाए।
✅ विश्वास बढ़ाने के उपाय: समाज में विश्वास बहाल करने और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कानून-व्यवस्था में सुधार किया जाए।
✅ परिवार और समुदाय को प्राथमिकता दें: भारतीय समाज को पारिवारिक और सामुदायिक संबंधों को पुनर्जीवित करने पर ध्यान देना चाहिए।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
✅ युद्धग्रस्त देशों में भारत से अधिक खुशी क्यों है?
- युद्धग्रस्त क्षेत्रों में लोग सामूहिक उद्देश्य और सामाजिक एकता की भावना के कारण अधिक खुश महसूस करते हैं।
✅ भारत की रैंकिंग इतनी नीचे क्यों है?
- कम जीवन मूल्यांकन, सामाजिक भरोसे की कमी, और अकेलेपन की बढ़ती प्रवृत्ति भारत की कम रैंकिंग के पीछे मुख्य कारण हैं।
✅ फिनलैंड को शीर्ष स्थान पर बनाए रखने का कारण क्या है?
- फिनलैंड की सफलता का श्रेय मजबूत कल्याणकारी व्यवस्था, न्यूनतम भ्रष्टाचार और प्रकृति से जुड़े जीवन को दिया जाता है।
भारत को सामाजिक बंधनों को मजबूत करने, विश्वास बढ़ाने और परस्पर संबंधों को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम करना होगा ताकि आने वाले वर्षों में इसकी खुशी रैंकिंग में सुधार हो सके।
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