मोदी की गारण्टी के सामने बोना रह गया ‘इंडिया’ एलाइंस, BJP की तीन राज्यों में जीत का कारण?

चुनाव से पहले जिन मुद्दों को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से निश्चिन्त थी की, हिंदी भाषी राज्यों में उनके जाति जनगणना, गारंटी आदि बीजेपी को टक्कर देंगे, चुनाव का रिजल्ट आते ही सामने आ गया की कांग्रेस के ये मुद्दे भी मोदी की गारंटी के सामने टिक नहीं पाए। खासकर जाति जनगणना वाला मुद्दा तो राहुल गाँधी ने खूब उठाया लेकिन, इसके बाद भी कांग्रेस को 2 राज्यों (राजस्थान, छत्तीसगढ़) की सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा।

कांग्रेस की फिर टूटी उम्मीदें, मोदी मैजिक फिर देखने को मिला:

इंडिया एलाइंस की तीनों राज्यों में हार से कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं की आँखें खुली रह गई। केसी त्यागी, जोकि Janata Dal (United) के मुख्य प्रवक्ता हैं, उन्होंने इन तीनों राज्यों के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की हार को BJP की विजय का संकेत बताया। समाजवादी वाले तो यह कह रहे हैं की अखिलेश यादव पर कमलनाथ की टिप्पणी(‘अखिलेश वखिलेश’) भी हार का एक कारण सिद्ध हुई। अब शायद कमलनाथ जी को उनको शब्दों का ख्याल आया होगा।

इस चुनाव में कांग्रेस को तेलंगाना में जीत मिली है, जो कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण है। इससे पहले कर्नाटक में भी जीत के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने काफी जश्न मनाया था। कार्यकर्त्ता मान रहे थे की एक बार फिर से कांग्रेस की जीत का दौर शुरू हो गया था लेकिन, चुनाव के नतीजे कांग्रेस के नींद उड़ाने वाले साबित हुए।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने इन राज्यों में खुद को मजबूत करने और अगले लोकसभा चुनाव की लिए खुद को तैयार करने की बात कही। उन्होंने अपने लोगों से कहा की हमें इस हार से हताश नहीं होना है और दोगुने जोश के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगना है।

कांग्रेस की इस हार के बाद तो यही कहा जा सकता है की, कांग्रेस को अपने चुनावी मुद्दों को मजबूत करने की जरुरत है। शायद जनता अभी उनपर विश्वास करने के मूड में नहीं है, इसलिए कांग्रेस को ऐसी हार जनता ने दी है जिसके बारे में कांग्रेस ने कल्पना भी नहीं की थी। जहाँ कर्नाटक की जीत को कांग्रेस बूस्टर डोज मान रही थी, अब जनता ने उन्हें टेंशन का इंजेक्शन लगा दिया है।

MP की बात करें तो हमने देखा की किस तरह टिकट के बँटवारे के समय कमलनाथ का दिग्विजय सिंह के खिलाफ वाला वीडियो वायरल हुआ था। निष्कर्ष यही निकलता है की कांग्रेस की 11 ‘गारंटी’ पर शिवराज सिंह चौहान के ‘लाडली’ जैसे कार्यक्रम आज भी भारी पड़े। वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत के 500 रूपये के सलेंडर को भी जनता ने ठुकरा दिया। यहाँ भी मोदी जी की लोकप्रियता के सामने कांग्रेस के पाँव उखड़ गए।

भूपेश बघेल द्वारा किए गए ‘नवा छत्तीसगढ़’ पर भी जनता ने अपना विश्वास नहीं दिखाया लेकिन, तेलंगाना ने कांग्रेस की बढ़ती टेंशन के बीच राहत पहुंचाने का कार्य किया है। तेलंगाना के अलग प्रदेश बनने के बाद पहली बार कांग्रेस इस राज्य में अपनी सरकार बनाएगी।


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