कैप्सूल से बनेगा खाद: पूसा(भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान) इंस्टीट्यूट का कहना है की बायो डिकंपोजर की केवल 4 कैप्सूल से पच्चीस ली. बायो डिकंपोजर घोल बनता है, इसके बाद आप इसमें पाँच सौ ली. पानी मिलाने के बाद 2.5 एकड़ भूमि के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका छिड़काब करने से पराली जल्दी ही सड़कर खाद बनना शुरू हो जाएगी।
ध्यान दें: इस घोल के के छिड़काब के बाद पराली को जितनी जल्दी हो सके पराली को मिट्टी में मिला दें मतलब, खेत की जुताई जरूरी है। जुताई से पराली तेजी से खाद बनने लगती है।
पूसा द्वारा इस बायो डीकंपोजर को इसलिए बनाया गया था ताकि लोगों को पराली, जलानी न पड़े और उसकी बजह से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके। इस बायो डीकंपोजर द्वारा बहुत ही कम दिनों में पराली खाद में बदल जाती है और किसान को जलाने की मेहनत भी नहीं करनी पड़ती, पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता और भूमि को इसका लाभ तो मिलता ही है। वैज्ञानिक-सलाह यह है की इसके इस्तेमाल करने से पहले आपको इसका सही तरीका पता हो तो तभी यह ज्यादा अच्छा काम करेगा।
मिट्टी बनेगी उपजाऊ: इसके इस्तेमाल से केवल पराली को जल्दी खत्म करने में मदद ही नहीं मिलेगी बल्कि, इससे जो खाद बनेगा वो मिट्टी को पोषण देगा और उसकी उर्वरता को बढ़ाने का काम करेगा। जिस तरह से मुख्यतः उत्तर भारत में पराली को ज्यादा जलाया जा रहा है, इससे पराली को जलाने की जरुरत नहीं पड़ेगी इसलिए हम पर्यावरण को शुद्ध रखने में भी अपना योगदान दे पाएंगे।
पहले किसान को मजबूरन पराली जलानी पड़ती थी ताकि, खेत को अगली फसल के लिए जल्दी से जल्दी तैयार किया जा सके लेकिन, अब इसका विकल्प मिल गया है।
कितनी समय में बन जाएगा खाद –
आपको बता दें की यह बायोडीकंपोजर इतना प्रभावी है की केवल 20-25 दिनों में भी पराली लगभग 75-80 खाद में बदल चुकी होती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह एक माइक्रोबियल समाधान है। आपको बता दें की इसी बर्ष के नवंबर महीने में NCR के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक बार-बार 400 और 450 की ‘गंभीर प्लस’ सीमा को पार कर गया।
घोल तैयार करने का पूरा प्रोसेस –
इसमें आपको 100 ग्राम गुड़ लेना है जिसे पाँच ली. पानी में उबालना है। जब यह घोल ठंडा हो जाए तो इसमें 50 ग्राम बेसन मिलाना है और इसके बाद कैप्सूल मिलाना है। इसके बाद इन सभी से तैयार घोल को लगभग 10 दिन के लिए रख दें, इसको अँधेरे कमरे में रखना अच्छा होता है। अब घोल तैयार है इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। घोल इतना कारगर है की दस दिन में ही पराली सड़कर खाद में बदलना शुरू हो जाएगी। इस खाद का फायदा आने वाली फसल को मिलेगा।