ऐसा माना जाता है की भगवान बुद्ध हमेशा कहते थे कि दुनिया में 2 तरह की अति होती है। जिसमें से पहली अति भोग-विलास की अति होती है, जिसमें प्राणी काम-सुख में बहुत ज्यादा डूबने लगता है और भूले हुआ व्यक्ति इसी अति का शिकार रहते हैं। जबकि भगवान ने, शरीर को बहुत ज्यादा कष्ट देकर तपस्या करने को दूसरी अति बताया है।
बहुत सारे संसाधनों के माध्यम से अपने आप को अनेक तरह से पीड़ा में डालना। इन दोनों अति को ही न अपनाते हुए तथागत द्वारा एक बीच का रास्ता खोजा गया, जिसे अष्टांगिक मार्ग कहा गया। महात्मा बुद्ध का मानना है की, जो भी व्यक्ति आष्टांगिक मार्ग का चुनाव करके चलेगा उसे शांति और ज्ञान की प्राप्ति जरूर होगी।
भगवान बुद्ध ने जो बातें आज से कई साल पहले कही थी वे आज भी उतनी ही मायने रखती हैं, जितनी की उस समय रखती थी। भगवान बुद्ध की बातें इस समय भी लोगों का मार्गदर्शन कर रही हैं, उन्हें सही रास्ता दिखा रही हैं। जिनको जो भी अपने जीवन में फॉलो करता है, वह शांति को हासिल कर पाता है –
भगवान बुद्ध कहते थे की, व्यक्ति को जंगल के जंगली जीवों से नहीं बल्कि एक दुष्ट एवं कपटी दोस्त से भय महसूस होना चाहिए। जंगली जानवर तो सिर्फ मानव के शरीर को हानि पहुंचा सकता है, लेकिन एक खराब दोस्त उसके दिमाग को भी नुकसान पहुँचा सकता है।
भगवान बुद्ध मानते थे की इंसान की जिंदगी में स्वास्थ्य सबसे तोफा है जबकि, संतोष जीवन का सबसे बड़ा धन है।
उनका विचार था की इंसान को, जो बीत गया है उसके बारे में नहीं विचार करना चाहिए बल्कि, सिर्फ आने वाले समय का सपना देखते हुएअपने वर्तमान पर ध्यान लगाना चाहिए।
भगवान बुद्ध ने एक बात कही थी की, खुद के परिश्रम करने से ही मनुष्य को मोक्ष मिल सकता है। कभी भी इसके लिए किसी अन्य मानव पर आश्रित न हों।
एक और अहम बात भगवान बताते हैं की, सूरज, चंद्रमा और सत्य ऐसी 3 चीजें हैं, जिसे किसी भी व्यक्ति की जिंदगी से छुपाकर नहीं रखा जा सकता है।
आपके पास जो कुछ भी है उसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना बंद कीजिए और इसके साथ ही दूसरों के प्रति अपने मन में ईर्ष्या का भाव भी मत लाइये।
Disclaimer – इस पोस्ट में लिखी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं के आधार पर लिखी गई हैं। HindiRaja.in इनकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।इसमें से किसी भी बात को फॉलो करने से पहले इस बिषय के जानकार से राय जरूर ले लें।