हमारे देश में अलग-अलग देवी-देवताओं के बहुत बड़े-बड़े मंदिर हैं और सभी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। महिला-पुरुष सभी भगवान के दर्शन करते हैं और सुखी-खुशहाल जिंदगी का आशीर्वाद लेते हैं लेकिन, बिहार में एक मंदिर ऐसा है जहाँ, महिलाओं के मंदिर में आने पर तो कोई रोक नहीं है लेकिन, महिलाओं को यहाँ का प्रसाद खाने की आज्ञा नहीं दी जाती है।
साथ ही कुछ नियम ऐसे भी हैं जो सभी श्रद्धालुओं पर लागू होते हैं जैसे, आप प्रसाद को मंदिर में ही खाकर घर जा सकते हैं, प्रसाद को घर लेकर जाना वर्जित है। मंदिर के बारे में लोगों का मानना है की यहाँ मांगी गयी मन्नत जरूर पूरी होती है।
मंदिर जमुई जिले में है यह बाबा झुमराज मंदिर
मंदिर की प्रसिद्धि का अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं की यहाँ, हर महीने लगभग डेढ़ लाख भक्तगण आते हैं। आपको बता दें की इस मंदिर के निर्माण के पीछे भी बड़ी रोचक कहानी है –
बाघ ने किया था पुजारी पर हमला
मंदिर के पुजारी जी द्वारा न्यूज़ 18 को बताया की एक बार हरिद्वार के कुछ पुजारी अपने पूरे समूह के साथ इस ओर से जा रहे थे, जब वह एक जंगल वाले इलाके से जा रहे थे तभी सबसे पीछे चल रहे पुजारी जी पर बाघ ने तेजी से हमला करके उनके प्राण ले लिए।
जिसके बाद उनके साथी उस जंगली इलाके से उनके शरीर को ले जाने में असमर्थ थे इसलिए वे सभी मृत पुजारी को छोड़कर आगे बढ़ गए। इस घटना के कुछ समय बाद जब एक किसान उस भूमि पर खेती करने आया तो, उसने फसल उगाने के लिए पड़े हुई कंकाल को जला दिया और भूमि पर मडुआ की खेती की।
फसल काटने पर हुआ चमत्कार
फसल तैयार होने पर एक दिन किसान उस फसल को काटकर घर चला गया लेकिन, जब अगले दिन वह खेत पर आया तो यह देखकर चौंक गया की खेत में तो फसल अभी भी लहलाह रही है।
उसने फिर से फसल को काटा और फिर जब अगले दिन आया तो फिर से देखा की फसल फिर वैसी ही खड़ी है। ऐसा चमत्कार देखकर किसान ने ईश्वर का ध्यान किया और इसका कारण जानना चाहा तो, पुजारी जी प्रकट हुए।
पुजारी ने बताया की कई बर्षों से उनकी आत्मा भटक रही थी क्योंकि, उनके शरीर को उनके साथी जंगल में ही छोड़ गए थे, किसान ने उनको अग्नि दी इसलिए उन्होंने सभी की मनोकामना पूर्ण करने की बात कही।
इसके बाद किसान और गांव के कुछ लोगों द्वारा उस स्थान पर मिट्टी का पिंड बना दिया गया और उसकी पूजा शुरू कर दी जो आज भी की जाती है।
मंदिर में दी जाती है बलि
यहां बकरे की बलि को सबसे ज्यादा दिया जाता है, जिसके बाद यह प्रसाद रूप में बनाने के बाद वितरित किया जाता है, बचे हुए प्रसाद को घर नहीं लेकर जाना होता है। साथ ही महिलाओं को इस प्रसाद को ग्रहण करने पर रोक है।
महिलाएं खा सकती हैं ये प्रसाद
अन्य बहुत सारे चीजें जैसे की सामान्य प्रसाद आदि जो झुमराज मंदिर में चढ़ाया जाता है, उसे महिलाएं भी खा सकती है। इस तरह की प्रथा इस मंदिर में कई सालों से चलती आ रही है।
Source: News18 Hindi