इस किसान ने सिंदूर की खेती करके बदल दी किस्मत, कभी कम नहीं होती डिमांड

फतेहपुर शहर के पास रहने वाले इस किसान से आज बहुत सारे लोग प्रेरणा ले रहे हैं, जिसने ऐसे समय में खेती से लाखों की कमाई की, जब लोग खेती-किसानी से दूर भाग रहे हैं और बहुत किसानों का कहना है की खेती में कुछ भी बचत नहीं होती है।

ऐसे में बहुत सारे किसान ऐसे हैं, जो लगातार अलग-अलग फसलों की खेती से अच्छी आमदनी ले रहे हैं। फतेहपुर जिले से आने वाले ‘अशोक तपश्वी’ उन्हीं मेहनती लोगों में से हैं।

तपश्वी जी ने कब शुरू की सिन्दूर की खेती?

अशोक जी बताते हैं की पहले उन्हें सिन्दूर के पौधे के बारे में जानकारी नहीं थी। लगभग बारह साल पहले महाराष्ट्र से आते वक्त वे इस पौधे को जंगल के रास्ते से आते वक्त ऐसे ही कार में रख लाए थे।

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उसके बाद इन्होने इसके अलावा और 5-6 पौधे की नर्सरी तैयार की। पौधे पर सुन्दर-सुन्दर फूल आने पर इन्हें पता चला था की ये सिन्दूर का पौधा है। उसके बाद ही इस संबन्ध में और जानकारी लेना और इसकी खेती करने का विचार मन में आया।

किसान सिन्दूर की खेती ही क्यों चुनें?

तपश्वी जी ने जब मार्केट में बिकने वाले केमिकल से बने सिन्दूर को देखा तो, उनको इसमें एक मौका नज़र आया। तपस्वी जी ने ‘आज तक’ को बताया की मार्केट में मिलने वाला ज्यादातर सिन्दूर केमिकल से बना होता है, इसलिए किसानों के लिए यह एक अवसर है की वे इस खेती को कर सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं।

सिन्दूर की डिमांड इतनी क्यों?

ये एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसकी डिमांड कम इसलिए नहीं होती क्योंकि, हिन्दू धर्म की सभी शादीशुदा महिला के लिए यह बहुत कीमती चीज होती है। शादीशुदा औरतें इससे अपनी मांग भरती हैं। इसके अलावा पूजा में मंदिर में चढ़ाने और तिलक आदि में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। जिस कारण चाहे कैसा भी समय हो, इसकी डिमांड कभी कम नहीं होती है।

इसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, धर्म से जुड़ाव की बजह से इस व्यवसाय से मुनाफा कमाया जा सकता है।

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